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बारिश के दोहे

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बारिश के दोहे

मधुर रिमझिम की बारिश, जगाए सबके भाग्य।
छाए हरियाली चहुँदिश, हमें मिले सौभाग्य।।
बूँदों ने छेड़े राग, बजते हैं सुरताल।
अषाढ़ हुआ मतवाला, गाँव-शहर खुशहाल।।
गूँज उठा रागमल्हार, हुई दिशा मदहोश।
बूँदों ने छेड़ी तान, नदियों में हैं जोश।।
आई दिशा-दिशा बाढ़, पशु-मानव लाचार।
घर-आँगन सब डूब गए, गूँजे हाहाकार।।
संकट बन गई बारिश, मचा है त्राहिमाम।
हाथ-पे-हाथ धरे सब, पड़े अधूरे काम।।
रेल, बस, सेवा हैं ठप्प, चारों ओर आफत।
सड़कंे बन गईं दरिया, नहीं कोई राहत।।
नदियाँ उगल रही बाढ़, हाईवे भी बंद।
बेकाबू हो गए बाँध, टूट रहे तट बंध।।
जल राशियाँ करे शोर, तैर रही है लाश।
घर-परिवार छूट गया, कैसे करे तलाश।।
प्रकृति ने दिखाया क्रोध, बदला अपना वेश।
घर, पशु-मवेशी डूबे, बचा न कुछ भी शेष।।

रचयिता
मोहम्मद आरिफ
(कवि, लेखक, गीतकार)
50, सिद्धवट मार्ग, मेन रोड
भैरवगढ़-उज्जैन (म.प्र.)
मो. 9009039743

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