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ग़ज़ल

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ग़ज़ल

मुहब्बत में वह तड़पाने लगा है
मज़ा हमको भी अब आने लगा है।
नसीहत का लिया है सबने ठेका
मुझे हर एक समझाने लगा है।
बताओ उसको हर इक शै है फ़ानी
वह सुन्दरता पर इतराने लगा है।
खुदा से माँग जो भी माँगना हो
कहाँ तू हाथ फैलाने लगा है।
पिलाओ खून अपना इसको ‘आरिफ’
वफ़ा का फूल मुर्झाने लगा है।

रचयिता

मोहम्मद आरिफ

(कवि, लेखक, गीतकार)

50, सिद्धवट मार्ग, मेन रोड

भैरवगढ़-उज्जैन (म.प्र.)

मो. 9009039743

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