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ग़ज़ल

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ग़ज़ल

अपनी मुहब्बतों से बना ले तू ऐसा घर
तकरार की न आए जहाँ से कोई ख़बर।

छूना है आस्मान तुझे इस उड़ान में
अब सोच क्या रहा है ज़रा तोल अपने पर।

छाती पे अपनी रोक ले दुश्मन के वार को
रखना तू अपने साथ कोई ऐसा हम सफर।

जो देखते हैं जि़न्दगी दुनिया की आँख से
हर ग़ाम पर मिलेंगे तुझे ऐसे कम नज़र।

‘आरिफ’ हुऩर तू अपना दिखा दे जहान को
अख़बार में छपेगा तेरे नाम से ख़बर।

रचयिता
मोहम्मद आरिफ
(कवि, लेखक, गीतकार)
50, सिद्धवट मार्ग, मेन रोड
भैरवगढ़-उज्जैन (म.प्र.)
मो. 9009039743

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