Hindi Kavita
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वही इक रोग जो सबको लगा है
शिकार उसने मुझे भी कर लिया है।
सभी आगे बढ़े जाते है, देखो
कोई लाचार और बेबस खड़ा है।
कोई ईमाँ बेचकर खाता है हलवा
दग़ा वो आज खुद से कर रहा है।
मुहब्बत हो गई दुनिया से ग़ायब
यहाँ हर आदमी तन्हा खड़ा है।
सभी से ये अलल ऐलान कह दो
कि ‘आरिफ’ भी ग़ज़ल कहने लगा है।
रचयिता
मोहम्मद आरिफ
(कवि, लेखक, गीतकार)
(India Book of Records Holder)
50, सिद्धवट मार्ग, मेन रोड
भैरवगढ़-उज्जैन (म.प्र.)
मो. 9009039743
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