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ग़ज़ल

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ग़ज़ल

क्यों जि़न्दगी से शिकवा-शिकायत है
जि़न्दगी ज़ीना दुख-दर्द की अमानत है।
क्यों आँसूओं, दुखों से बगावत है
जि़न्दगी जीना तो इक़ इबादत है।
दर्द में ना हँसे, क्यों अदावत है
जि़न्दगी तो सुख-दुख की शरारत है।
काँटो को खुशबू से क्यों अदावत है
जि़न्दगी तुझसे लड़ने की हिमाकत है।
दर्द को आदाब, नज़रे इनायत है
जि़न्दगी की नज़ाकत में क़यामत है।

रचयिता
मोहम्मद आरिफ
(कवि, लेखक, गीतकार)
(India Book of Records Holder)
50, सिद्धवट मार्ग, मेन रोड
भैरवगढ़-उज्जैन (म.प्र.)
मो. 9009039743, 7806002306

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