ग़ज़ल
ग़ज़ल
यह जो दुनिया है नज़र के सामने
कुछ नहीं मेरे हुनर के सामने।
कैसे मैं झूठी गवाही दे सकूँ
क़त्ल जो होता है घर के सामने।
तुम हो इज्ज़तदार मैं हूँ इक गरीब
छोटी मछली क्या मगर के सामने।
शोर से बहती नदी कुछ भी नहीं
एक मेरी चश्मे तर के सामने।
दूर है मंजि़ल कठिन ‘‘आरिफ़’’ डगर
कुछ नहीं अज़्मे सफ़र के सामने।
रचयिता
मोहम्मद आरिफ
(कवि, लेखक, गीतकार)
(India Book of Records Holder)
50, सिद्धवट मार्ग, मेन रोड
भैरवगढ़-उज्जैन (म.प्र.)
मो. 9009039743, 7806002306
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