Hindi Kavita
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उम्मीद की कुनकुनी धूप
लो फिर आ गई!
नए साल के स्वागत में
उम्मीद की
कुनकुनी धूप मुँडेर पर
तुम्हारे साहस
और धैर्य के आँगन में
उतरने लगी है
आशा-आकांक्षा की परियाँ
नई सोच का बाजीगर
नये-नये कीर्तिमानों का है आतुर
जमा है जो तुम्हारे पास
अडिग विश्वास की पूँजी
अब उसे करना होगा खर्च
लेकिन यह साल
तुम्हें धीरे-धीरे आजमाएगा
सावधान!! डरना नहीं
धारण कर लो अपना
फौलादी इरादों वाला कवच
जो तुमने गढ़ा है श्रम से।
मोहम्मद आरिफ
50, सिद्धवट मार्ग, मेन रोड
भैरवगढ़-उज्जैन (म.प्र.)
मो. 9009039743
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