Hindi Kavita
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दुःख मेरा मित्र
हर दिन
चुनौती भरा मेरा
हर दिन
दुःखों से आच्छादित मेरा
दुःख ही बुनता है
रोज ताना-बाना
मेरी दिवस की अवधि का
दुःख ने मेरे सुखों की
कर दी है, हत्या
फिर भी मैं इसे
नहीं कहूँगा हत्यारा
दुःख से हरदम पाला मेरा
सुख से वास्ता
दूर तक नहीं है
दुःख ही मेरा हमसफर है
दुःख रोज़ आलिंगन करता मेरा
ऐ! दुःख आ तुझे गले लगा लूँ।
मोहम्मद आरिफ
50, सिद्धवट मार्ग, मेन रोड
भैरवगढ़-उज्जैन (म.प्र.)
मो. 9009039743
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