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सिन्दूरी सांझ के नाम……..
लिखकर एक कविता मैं
सिन्दूरी सांझ के नाम देता हूँ।
आज का दिन दे गया है मुझे
ढेरों थकान, सुख-दुःख,
खट्टी मिठी यादें, कड़वी बातें,
गुस्सा, टकराहट, नये रिश्तें,
टूटन, मिलन,
खुशी, उल्लास, उदासी,
सब कुछ दे देना चाहता हूँ मैं
सिन्दूरी सांझ के कांधे।
सिन्दूरी सांझ मेरा दिनभर का
बोझ दूर कर देगी, हल्का कर देगी
अगले दिन की सिन्दूरी सांझ
फिर सिन्दूरी सांझ बन आएगी अगले दिन।
सिन्दूरी साझ कविता में समेट
सब कुछ ले जाती है
और मैं सौंप देता हूँ उसे।
रात बिस्तर पर कटेगी
नींद आए या न आए
कोई भरोसा नहीं
नींद आने की लाख कोशिश करूँगा
फिर भी नींद आ जाए यह मुमकिन नहीं।
रात छाती पर खड़ी है काली नागिन-सी
फन फैलाए नींद को डराती है
इसलिए तो मैं
एक कविता सिन्दूरी सांझ के नाम दे देता हूँ
क्योंकि सिन्दूरी सांझ
डँसती नहीं बनकर काली नागिन।
मोहम्मद आरिफ
50, सिद्धवट मार्ग, मेन रोड
भैरवगढ़-उज्जैन (म.प्र.)
मो. 9009039743
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